भारत के केंद्र शासित प्रदेश
अंडमान निकोबार दीप समूह में कुल द्वीपों की संख्या 572 हैं.
अंडमान और निकोबार द्वीप का कुल क्षेत्रफल 8,259 वर्ग किलोमीटर है, अर्थात हांगकांग से यह 8 गुना, सिंगापुर से यह 11 गुना, सेसल्स का यह 20 गुना और मॉरिशस से यह 4 गुना क्षेत्रफल है.
इस प्रकार हम अंडमान निकोबार द्वीप को भविष्य में हांगकांग जैसा बना सकते है. जो पर्यटन के लिए भी बढावा मिल सकता है.
सेलुलर जेल को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है यहां पर अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, देशभक्त और क्रांतिकारियों को कैद करने के लिए बनाया था। यह मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित है, और सागर में भी वहां का मार्ग दुर्गम हैं। इस जेल में अनेक महान क्रांतिकारियों को रखा गया, जिसमें वीर सावरकर, मोतीलाल वर्मा ,बंटूकेश्वर दत्त, वरिंद्र कुमार घोष, भाई परमानंद,पृथ्वी सिंह आजाद आदि प्रमुख थे।
यह जेल ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों और दी गई यातनाओ की मूक गवाह है.
सेल्युलर जेल एक तीन मंजिला इमारत है.
सेल्युलर जेल सात खंड ऑक्टोपस की भांति 7 दिशाओं में फैले हुए हैं।
इसमें बनी कुल 698 कोठारियो है, जिसमें कैदियों को इस तरह रखा जाता था कि दूसरे से बात करने तो दूर उन्हें देख भी नहीं पाते थे।
यहां कोलहू में जोतकर उनसे तेल निकलवाया जाता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान की धरती पर पहली बार भारत का तिरंगा झंडा फहराया था।आजादी को लगभग तीन दशक बाद 1 फरवरी 1997 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी भाई ने सेल्यूलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में समर्पित किया। आज इस राष्ट्रीय स्मारक के प्रवेश कक्ष में छाया चित्र दीर्घा तथा संग्रहालय स्थित हैं ।बंदियो द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन हथकंडिया उनके टाट के लाबदे आदि यहां रखे हुए हैं। साथ ही वे सभी अस्त्र-शस्त्र और सामग्री भी जिससे स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं दी जाती थी यहाँ रखी हुई है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस दीर्घा और पुराने चित्रों की दीर्घा भी राष्ट्रीय स्मारक परिसर में बनाई गई है।प्रति वर्ष शहीदों की याद में यहाँ मेले लगते हैं यहां रहे क्रांतिकारी पृथ्वी सिंह आजाद ने इसे क्रांतिकारियों और शहीदों का तीर्थ स्थल कहाँ है। इस जेल की एक-एक ईंट में क्रांतिकारियों के खून पसीने का इतिहास छिपा है शहीदों की याद में यहां स्वतंत्रता की अमर ज्योति दिन-रात जलती रहती है।आज यह जेल आजादी का एक मनोरम तीर्थ स्थल बन चुका है, जिसके चारों ओर समुद्र बहुत अल्प लगता है इसे दिखाने के लिए प्रतिवर्ष विश्व से हजारों की संख्या में लोग आते हैं।
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