ताजमहल    Taj Mahal 







संसार की पुरानी और नई इमारतों में ताजमहल का स्थान बहुत ही उल्लेखनीय है। पूरे विश्व में इसकी धूम है और विश्व के कोने-कोने से लोग इसे देखने के लिए आते हैं।

 ताजमहल भारत के उत्तरी भाग अर्थात उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा नगर में यमुना नदी के तट पर बना हुआ है।

शाहजहां ने अपनी बेगम अर्जुमंद बानो (मुमताज महल) की याद में इसे बनवाया था, जो लोगों को बहुत ही आकर्षित करता है.

 यह इमारत बहुत बड़ी नहीं है,किंतु बहुत ही सुंदर है। यह   रोजा 17वीं शताब्दी में बना था, किंतु आज भी इसमें पुरानेपन का कोई चिन्ह दिखाई नहीं पड़ता। यह रोजा संगमरमर के चबूतरे पर सफेद संगमरमर का बना हुआ है।

 चबूतरे का क्षेत्रफल 350 वर्ग फुट और   ऊंचाई 20 फुट है.

रोजे की ऊंचाई  350फुट और घेरा 6 फुट है। चबूतरे के चारों कोनों पर 150 फुट ऊंची 4 मीनारें हैं।

 ताजमहल में संगमरमर संगमूसा इत्यादि रंग-बिरंगे पत्थरों से ही सभी चीजें बनाई गई है।

 ताजमहल के रोजे के चारों कोनों पर बनी हुई मीनारों के ऊपर जाने के लिए भी सिढिया बनीं  है।  मीनारों के ऊपर से ताजमहल का दृश्य बड़ा ही मनोहर लगता है। रोजे के सामने एक लंबा कुंड बना हुआ है इसमें फववारो की कतारें बनी हुई है। इस कुंड में रंग बिरंगी सुंदर मछलियां तैरती रहती है। कुंड के रोजे तक जाने के लिए पक्की पगडंडीया है। इन पगडंडियों के किनारे कुछ कुछ दूरी पर हरे वृक्ष लगे हुए हैं, जो वर्दीधारी संतरी से प्रतीत होते हैं।

 रोजी के चारों ओर एक सुंदर बाग है। इस बाग में चंदन, इलायची, सुपारी, मौलसिरी आदि के वृक्ष हैं। बाग कुंड,फूलों  और फववारो के कारण इस रोजे की शोभा को चार चांद लग गए हैं.

 कहा जाता है कि ताजमहल  का नक्शा आइंस्टीन नामक एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी शिल्पकार ने बनाया था और इसके बनाने के लिए इटली,फ्रांस, रूस आदि  देशों के कुशल शिल्पकार बुलाए गए थे।जयपुर आदि नगरों के प्रवीण कारीगरों ने भी बहुत सा काम किया था।इस इमारत को 22000 मनुष्य, 20 वर्ष में बना पाए और इसके बनाने मे कुल खर्च सवा तीन करोड़ रुपए के लगभग हुआ।

 शाहजहां की हार्दिक इच्छा थी कि वह यमुना के दूसरे तट  पर अपने लिए भी संगमूसा का एक ऐसा ही सुंदर रोजा तैयार करवाए, किंतु बादशाह की इच्छा पूरी ना हो सकी।

 उसके पुत्र ने उसे कैद कर लिया और वह बेचारा कैद में ही मर गया।